नंदलाल बंशीधार

 नंदलाल बंशीधार, मधुर स्वर धार, मन मोहन कृष्ण करते हैं प्यार। गोपियों को चेतना देते मधुर वचन, वृंदावन की धरती पे चारों ओर नचाए जगत भर। गोविंद गोपाल, मुरलीधर नन्दलाल, हरे कृष्ण राधे के प्यारे संग मिलाते हैं। गोपियों के मन को मोह लेते हैं मधुर लीला, हर दिन नवलीला, हर रात रासरस भरे। माखन चोर नंद के लाल, बंसीधारी मोहन, गोपियों के मन में पाते हैं आनंद। वृंदावन की गलियों में बजती है रास लीला, हरे कृष्ण राधे को विश्राम दिलाते हैं विश्राम। राधा रानी के कान्हा, मोहन मुरारी, तेरी लीला अमर है, अद्भुत नटखट सांवरी। गोपियों को अपनी ओर मोहित करते हैं तुम, नाचते हैं मधुर रासरस में, गोपियों के संग सुरी। हे राधा कृष्णा, हमेशा रहो हमारे पास, तुम्हारी महिमा गाते हैं हम, जपते हैं तेरा नाम। भजनों के स्वर से जगत को प्रभावित करो, अपने भक्तों को आनंदित और प्रसन्न करो॥

श्याम तेरे चरणों में आकर

 श्याम तेरे चरणों में आकर,

मन हमारा जपता रहे नाम तेरा।

हर रोज़ तेरे गुण गाते हम,

भक्ति भरी रात दिन बिताते हम॥


तेरे दर पे जान फ़ना कर दूँ,

प्यारे श्याम तू ही मेरा मालिक है।

दुःख सहकर हर दिन मुस्काते हैं,

अपने प्रेम से सबको भाते हैं॥


तेरी माया है अद्भुत, तेरी लीला अनंत,

अपने भक्तों को दिखाता तू विश्वास।

जगत के पालनहार, दुखों का हारण,

तू ही हमारी रक्षा करने वाला बांसीधार॥


हे कृष्णा कन्हैया, मुरलीधर गोपाल,

तू हमेशा रहे हमारे मन में बसा।

प्रेम और भक्ति का नाम तू है,

तेरे दर्शन को हम सदा पाते हैं सजा॥


तेरे गुण गान से हमेशा प्रभावित,

तू हमारी जीवनशक्ति, तू ही हमारा संगीत।

आओ श्याम मुझे गले लगा लो,

तेरी महिमा में खो जाऊँ, तेरे रंग में रंग जाऊँ॥


श्याम तेरे चरणों में जीवन समाए,

तेरी कृपा से सबको सुख प्राप्त हो जाए।

जय हो कृष्ण भगवान, जय श्याम गोपाल,

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