नंदलाल बंशीधार
नंदलाल बंशीधार, मधुर स्वर धार, मन मोहन कृष्ण करते हैं प्यार। गोपियों को चेतना देते मधुर वचन, वृंदावन की धरती पे चारों ओर नचाए जगत भर। गोविंद गोपाल, मुरलीधर नन्दलाल, हरे कृष्ण राधे के प्यारे संग मिलाते हैं। गोपियों के मन को मोह लेते हैं मधुर लीला, हर दिन नवलीला, हर रात रासरस भरे। माखन चोर नंद के लाल, बंसीधारी मोहन, गोपियों के मन में पाते हैं आनंद। वृंदावन की गलियों में बजती है रास लीला, हरे कृष्ण राधे को विश्राम दिलाते हैं विश्राम। राधा रानी के कान्हा, मोहन मुरारी, तेरी लीला अमर है, अद्भुत नटखट सांवरी। गोपियों को अपनी ओर मोहित करते हैं तुम, नाचते हैं मधुर रासरस में, गोपियों के संग सुरी। हे राधा कृष्णा, हमेशा रहो हमारे पास, तुम्हारी महिमा गाते हैं हम, जपते हैं तेरा नाम। भजनों के स्वर से जगत को प्रभावित करो, अपने भक्तों को आनंदित और प्रसन्न करो॥